Tuesday, August 13, 2013

Good old days..clicking Photographs used to be the job of a “Photographer”. ..man with most sophisticated/big camera in town. His camera Bag and Tripod used to be bigger than his camera. Even for clicking Passport photographs he would give ten instructions dus baar mundi ko haath laga ke “Beta not that stiff” “relax karo”..will touch your head and tilt at his favorite angle. For me that was BAD Touch L. I hated it and when I used to be almost ready he would blind me with a flash which would be good enough to play a Day/Night cricket match. Finally this would get over..You think? I would hear him telling my dad “Aapka beta aankh band kar leta hai ” Wat wat? You snitch!! What do you expect me to stare into your flash machine & grow up to star in Bansali’s movie. Dad would give me ‘that’ look and I would find myself on that doomed stool reliving “Beta not that stiff” “relax karo” torture again.

Now with every Tom, Ramesh & Harry moving around with their Canons and Nikons D 235..EOSX with  123.5475 MM blah blah lens and machines.I can just imagine the poor photographer’s plight. Shaadi biyaah main  this so called “Photographer Bhaiya” is the one with the most outdated machine trying to compete with these Tom Ramesh & Harry and their costly equipment. I know it’s kind of sad impacts their livelihood but #Devil in me says “Payback time” . I told ya Mere Tom Ramesh & Harry aayenge. Feels like walking up to them and saying ““Bhaiya itna stiff nahi..thoda tilt karo apna sar ..ISO kitna rakha…areey shutter speed gadbad hai ” hahahaha J

Sunday, August 04, 2013

दुश्मन : चल ना बे क्लास बंक करते हैं..अँग्रेज़ी ही तो है..अँग्रेज़ी तो अपने नश नश मैं हैं..आई गो ..तू कम..चल मैं तेरे को मस्त जगह ले चलता हु ..नयी बिल्डिंग मैं 
विनीत : मरवाएगा तू,ये तो  मस्त जगह पूरा स्कूल दीखता है यहाँ से..मस्त 
दुश्मन : स्कूल छोड़ ..प्रिन्सिपल सर भी दीखते हैं..वो देख सामने से आ रहे हैं..कूद कूद..जंप कुकुकुकुकुकुद्..
विनीत : यार बहुत उँचा है....मैं नि कुद रहा...
दुश्मन : लोड नही, भाई पे भरोसा रख...
विनीत : जब मैं कुदा वो सुअर  भाग चुका था
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विनीत : अबे सीनियर आ रहे हैं ..अंदर चलो रूम के ..अंदर
सीनियर : नाम क्या है
विनीत : विनीत सर
सीनियर : आबे तू सर है तो हम क्या है बे..मरो साले को  .
दुश्मन : हा हा हअह हा हा हा  
सीनियर : तू क्यूँ हंसा बे....इसको भी मारो 
विनीत : हा हा हअह हा हा हा  
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दुश्मन : अबे विनीत कुछ समझ नही आ रह है..भाई कुछ पढ़ा दे...
विनीत : कोई ना..बोल कौन सा चॅप्टर...भाई कुछ नही पड़ा सब पढ़ा दे
विनीत : आबे सुअर..कल एग्ज़ॅम है...एक शाम मैं कैसे सब पढ़ा दु..चल बैठ
दुश्मन : देखना तेरा भाई टॉप करेगा इस बार 
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दुश्मन : आबे दुसरे स्वाल का जवाब  दीखा ना बे
विनीत : मैं लिख रहा हु..साथ साथ मैं कॉपी कर ले
दुश्मन : (आफ्टर 30 मिनिट्स )..अबे कितना लंबा आन्सर है..लगता है इस बार टॉप कर जाऊँगा  
विनीत : कमीने मैं क्वेस्चन 4 पे हूँ ...
दुश्मन : क्या...अरे बताना था ना पांडु...लोड ना ले..तू लिख तू लिख तुझे टॉप करना है...मैं अड्जस्ट कर लेता हूँ
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विनीत : ओये मुझे ये बंदी पसंद है ...तेरे ब्रांच मैं है इंट्रो करा ना..भाई का भाई नही है  क्या ?
दुश्मन : टेन्षन ना ले तूने बोल दिया समझो हो गया....भाई है अपना
(अगले दिन पूरा मेकॅनिकल  ब्रांच ,जहाँ से भी वो गुजरती )
भाभी  भाभी  भाभी  भाभी  जी नमस्ते भाभी भाभी  
बंदी : मुझे नही मालूम था तुम ऐसे लड़के हो..
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विनीत : ओये  गाड़ी की चाभी दे ना, तेरी भाभी से मिलने जाना है 
दुश्मन : भाभी से मिल चाहे ससुर से..पेट्रोल भरवा देना ..रिज़र्व मैं है. सुन उसकी कोई रूम मेट है क्या? 
विनीत :- कर दी ना छिछोरी बात ..चाभी ला
(मिल के आने के बाद)
विनीत : तेरी गाड़ी को दीखाता क्यूँ नही मेकॅनिक को..कितना  पेट्रोल पीती है..फुल टॅंक करवाया था..आते आते रिज़र्व मैं आ गयी 
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विनीत : ओये तेरा भाई अब बेरोज़गार नही रहा,सेलेक्ट हो गया ..तू घर नही गया कामीने रात के 01 बज रहे हैं
दुश्मन : अबे हम जानते थे इंटरव्यू तो तुम निकाल ही लोगे , चेले किसके हो..सोचा साथ चलेंगे   
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दुश्मन तो इसके बाद भी कई बने पर ऐसे कमीने नही ....सालों ने कभी दोस्तों की कमी खलने ही नही दी

इस कहानी के सभी पात्रा एवं घ्टनाए काल्पनिक नही है,जिसका किसी ना  किसी जीवित व्यक्ति से पक्का संबंध है,अगर होता  है तो उसे
मात्र एक सयोंग ना समझे !!